ऐ पुरुष …….तुम उस दिन ही महिला दिवस मनाना ….
जिस दिन….तुम्हारी नज़रे न घूरें किसी महिला के बदन को…बात- बात में न निकले गाली माँ ..बहन.. बेटी की….
जिस दिन अहसास हो जाय कि …महिला भोग ..उपयोग के लिए ही नही….श्रद्धा और सम्मान के लिए भी है…
जब दे सको दर्जा अपने समान समर्थ होने का….
उस दिन स्वागत है तुम्हारी बधाइयों का….
ऐ पुरुष ….तुम उस दिन ही महिला दिवस मनाना……