आखिर कैसे होता हैं ट्विन सोल्स का संवाद? आइये जानते हैं!
ट्विन सोल्स एक ही आत्मा के दो भाग होते हैं! यदि इन्हे संवाद या बात करनी हो, तो इन्हे शब्दों की भी जरुरत नहीं होती! अगर ये कम्युनिकेट करते हैं, तो इनका कम्युनिकेशन ऐसे होता हैं जैसे मानो दोनों को लगता हैं कि कहने से पहले ही दिल कि बात कह दी गयी हो!
दोनों ही एक दूसरे की संवेदनाओं और भावनाओं को बिन बोले ही समझ जाते हैं! और कम्युनिकेशन तो उसमे ऐसे चुम्बक का काम करता हैं कि पूछो ही ना! ? ?
ये अनुभव बातों का नहीं हैं! सुनने और सुनाने से भी ये गहराई तक शायद ना जाये! यह तो ऐसा अहसास हैं कि जो छू गया, वो तर गया! ब्रह्माण्ड को समझ गया! शिव से मिल गया! ईश्वर के दर्शन करने जैसा, अपने इस जीवन मे आने के प्रयोजन को समझ गया! आत्मा की शुद्धि, जग का भला, विश्व मे करुणा और प्रेम का सन्देश देने वाली दो अजर अमर आत्माएं! वाकई, सुनकर अजीब तो लगता हैं ना? एक तरफ प्रेम और रोमांस और दूसरी तरफ ध्यान, जग कल्याण, ईश्वर मिलन? ?क्यों? हैं ना? ❓
??♂️
बुद्ध भगवान ने सब छोड़ छाड़ कर मैडिटेट यानि ध्यान किया था! ये दो आत्माएं भी मैडिटेट करती हैं! खुद मे ही इनकी शक्ति अपार होती हैं, मगर प्रेम मे एक साथ मिलकर इनकी शक्ति अपरम्पार हो जाती हैं! साक्षात् शिव शक्ति स्वरुप!
प्रेम इनको वो बना देता हैं जो सब होना चाहते हैं! यहाँ तक की ईश्वर भी! ??
ऐसा मानते हैं कि रोमेंटिक और बुद्ध होना एक साथ संभव नहीं! मगर इस बात को गलत सिद्ध केवल ट्विन सोल्स ही कर सकते हैं! इसीलिए इनको रोमेंटिक बुद्धा कहूँ तो गलत नहीं होगा!
खैर आइये देखते हैं ऐसी दो परम आत्माओ का प्रेम मे संवाद! ✍? ? ?
दिचस्प सा! रोचक सा! कुछ अल्लहड़पन और कुछ दर्द लिए! अपनी स्प्रीचुअल यात्रा के मध्य कहीं! ??
(दो आत्माओ का संवाद)
??❤️??
बंसीराम द्विवेदी ?
मेरी जिंदगी को सलाम!
आपके दिल मे रहता हूँ,
आपकी रूह में सोता हूँ!
मैं आपका ही अक्ष हूँ,
आपके ख्यालों में खोता हूं!
स्वप्नलता चौरसिया ?
तेरी ज़िंदगी को सलाम!
मेरे दिल में तुम रहते हो,
मेरी रूह में ठहरते हो, पनाह होते हो!
आप मेरा ही तो अक्ष हो,
मेरी हर सांस में बहते हो!
मुझे जिन्दा रखते हो, मेरी आँखों मे रहते हो!
एक पल भी आये जो ख्याल, मेरी गुमशुदी का!
तो मेरी ही खातिर फ़ना होते हो!
सच कहा ना मैंने? कि तुम ऐसे हो?
बंसीराम द्विवेदी ?
जब तक तुझ को देखा नहीं था, सपनो में सोचा करता था!
जब देखा तुमको ये पाया मैंने, क्या कुछ मैं खोया बैठा था!
उस दिन ख़ुदा को मुझ पर, रहम यूँ इस कदर आया!
तुमको देकर मेरे नसीब मे यूंही,
बोला..
तू है, तू हैं अभी जिन्दा सा, खुद मे कहीं,
बेख्याली से ख़्याल मे आ,
और देख…देख तूने क्या पाया हैं!
मैं बस जैसे देखता ही रह गया और दिल बोला,
सुभानअल्लाह ?
स्वप्नलता चौरसिया ?
पलके झुकाते हुए, कोमल से दिल ❤ और भावनाओ को संभालती हुई, कुछ शर्माती सी …..
राहत मे, बोली –
उफ्फफ्फ्फ़ ?
सप्रेम ?
आपकी स्वप्नलता ♥️?
और फिर जैसे खामोशी की भाषा शुरू हो गयी! ? ??❤️??? ??️
कोई शब्द नहीं, कोई संवाद नहीं! सिर्फ अहसास! एक दूजे का! अपनी ऊर्जाये एक दूसरे से बदलते हुए, ऊर्जाओ का संतुलन!
और फिर ?
एक दम?
शांत, एकांत, ध्यानमग्न, और सपरिचुअल आभामण्डल (औरा )
इस अवस्था मे क्या होगा, आप समझ ही सकते हैं!
गहरा ध्यान! स्वयं और आस – पास के लोगो और स्थान की ऊर्जा की शुद्धि!
ॐ ?
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